कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥ योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। नारद शारद शीश नवावैं॥ किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥ त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई। सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥ मन मंदिर में, वास है तेरा, https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa